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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie www.kobatirth.org || जेनेसंसारक्षयसतेसण सम्सर्वजाणे जि जिनरूपि सूर्य सो• ने जिनकरसे सा नयोत स सर्व खोकने विषे जीयने |अ-१३ सारो ॥संसारीजन सवन्नू जिगलस्करो ॥ सोकरिसई नुद्योयं ॥ सबलोगंमि पाणि..७८ सा० लखी गोद गौतम प प्रज्ञा बुदिनुमारी लिक राख्यो मारो संदेह एपूर्वे कह्यो ते अन अनेरोपणा संदेह मारो । एं ॥७८ ॥ सात गोयम पन्नाते ॥ बिन्नोमेसंसलेश्मो ॥ अनोविसंसनेमशं॥ तं तेतुमनेकहोहगौतम ७५ हवे स्थानकाबीबारसं सा सरीरमानसी षेकरी पीमाता पाठ जीवने रकेच्या| तंमेकहरूगोयमा॥ ७० ॥ द्वारकेसी पूजेजे सारीरमाए सेपुरके । बशमाएगाणपाणिएं ॥ रकम धिरहितसर्व नुपऽवरहितअ स्वत्लाविक बाधाथिानकसं मद मनेकरीहेमुनी पन्हवे गौतमकहेरे ए एक नित्यसदाएं स्वानक लोन्सो सिवं अपाबाहं गएकि रहितएवं मन्नसे मुगी ॥७॥ अचिएगंधुवंगणं ॥ लोग कनेअग्रेनुपरेडे पु० तिहां चढवू दोहेसुळेजे जेमनपीज जराअनेम वा व्याधि वेदना नथी तः नेमकेसी पूढे २ ८१ गानस्तानक एइ० ए | ग्गंमि मुरारुहं ॥ जन्म नबी जरामच्च ॥ याहिपोवेयणातहा ॥८१॥ गणेयश्केषु के ककर्ष केकेसी गौतम बोलता श्या. त-तिबारपगैकेसीबोलेबेनेबोखतामनेगो गौत्तम ए आगल कहसे तेम अरु बोखता हवा.८२|| २६२ ते॥ केसीगोयममववि ॥ न के सिबुवंतंतु । गोयमो इरामबाप ॥७२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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