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|| जेनेसंसारक्षयसतेसण सम्सर्वजाणे जि जिनरूपि सूर्य सो• ने जिनकरसे सा नयोत स सर्व खोकने विषे जीयने |अ-१३
सारो ॥संसारीजन सवन्नू जिगलस्करो ॥ सोकरिसई नुद्योयं ॥ सबलोगंमि पाणि..७८ सा० लखी गोद गौतम प प्रज्ञा बुदिनुमारी लिक राख्यो मारो संदेह एपूर्वे कह्यो ते अन अनेरोपणा संदेह मारो । एं ॥७८ ॥ सात गोयम पन्नाते ॥ बिन्नोमेसंसलेश्मो ॥ अनोविसंसनेमशं॥ तं तेतुमनेकहोहगौतम ७५ हवे स्थानकाबीबारसं सा सरीरमानसी षेकरी पीमाता पाठ जीवने रकेच्या| तंमेकहरूगोयमा॥ ७० ॥ द्वारकेसी पूजेजे सारीरमाए सेपुरके । बशमाएगाणपाणिएं ॥ रकम धिरहितसर्व नुपऽवरहितअ स्वत्लाविक बाधाथिानकसं मद मनेकरीहेमुनी पन्हवे गौतमकहेरे ए एक नित्यसदाएं स्वानक लोन्सो सिवं अपाबाहं गएकि रहितएवं मन्नसे मुगी ॥७॥ अचिएगंधुवंगणं ॥ लोग कनेअग्रेनुपरेडे पु० तिहां चढवू दोहेसुळेजे जेमनपीज जराअनेम वा व्याधि वेदना नथी तः नेमकेसी पूढे २ ८१ गानस्तानक एइ० ए | ग्गंमि मुरारुहं ॥ जन्म नबी जरामच्च ॥ याहिपोवेयणातहा ॥८१॥ गणेयश्केषु के ककर्ष केकेसी गौतम बोलता श्या. त-तिबारपगैकेसीबोलेबेनेबोखतामनेगो गौत्तम ए आगल कहसे तेम अरु बोखता हवा.८२|| २६२ ते॥ केसीगोयममववि ॥ न के सिबुवंतंतु । गोयमो इरामबाप ॥७२॥
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