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नः अ. अनेरोपएा सं संदेह माहरो तंब्लेमुझनेक कहोहे गौतम ४९ हवे ग्गेहार केसीपूढेने सं सम्यकप्रकारे जाजष्यमान रोइ | अ-२३
अन्नोवि संसजेमशं ॥ तमे कहरूगोयमा ॥४॥... संपद्यालियाघोरा ॥ अअग्नितिष्टेने, गो हेगौतम जे अग्नि स. सरीरमाहे क. केएमकारें निच तेअनिनसची सुमे ५० हवेगौतम
अग्गिचिबई गोयमा ॥ जेमहति सरीरला ॥ कहं विद्या पियातुमे ॥५०॥ के केसीभने मन् मोटा परसातथीप नपन्युपाएीनामवाहपीगि ग्रहनेजपाएगीमांमुत्तमपाणीएं सिंक सिंच चुला सक निरंतरते अग्निदाखेनही में मुझने महामेहपसूयाने ॥ गिशवारि जकत्तमं । सिंचयामि धुंधु सययंते ॥ सित्तानेवमहंति .५१ हवे गौतम पूढेडे केसी अग्निएकेहीचीही केकेसीगौतममने बोलता हया निधारपदी केसी बोले खेने योखता मे ॥५१॥ अग्गीय केबुत्ते । केसीगोयममबपि ॥ तनु केसीबुवंतंतु ।। प्रतें गो दे गौतम र एआगसे कहीसेनेमबोलताहयाहवेकेसीमनें इ० कषायने अग्नि कहीं सूरु सिमान सील त तपरूपीने पापी गोयमो इएमबवि ॥ ५२ ॥ गौतमकहेढे कसाया अग्गियो वुत्ता ॥ सूयसील तपोजलं॥ सु तीर्थकररूपीन मेघनेयीनपनोसिद्धांत तेनी धार धाराएंकरी कषायरूपएपीअग्नीने बाले मुमने ५३ सा मस्ती ||२५६ सुयधारालिहयासंता ॥ विदारेखे ने भणी बांग्यायका सिद्धांतनीन लिन्नाशनमहंतिमे ॥५३॥ सात
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