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|| घणा में अनिमायनेइ मह जे जेलावधी स० तीर्थकरने बांदे ललय अत्यंत प्रतिद्वा महाबत ली अति
: मनुष्यलोकनेविषे पयर्ने .. साफ. बिहामएा परिचापीनपने रौपलया। अणेग बंदाश्हमारावेहिं । जेलावने संपकरेइलिरकू ॥ लयलेया तबनवेनिलीमा। दिक देवतासंबंधी म मनुष्यथाए निकलियंचसंबंधी लयजपने पपरि पु दोहेला सहनां सी० सीदाइ जनि ब पहा कायर
नतेम. परिसहनुपजे ने घमे१६ सह बावीस ... हां नराए दिवामएफस्सायनहा तिरिबा ॥१६॥ परिसहा विसहाएगे। सीयतिजना बकायरान
से. ते नुपसर्ग ननिहां नेम्पसर्गपा संप संयामने जेम ना० हाथीसरफएतेनासेनहिं नेमसमुड सिम्सीनन देव दंसममा ___ पामेचते .मैथके नबीहे साफ . पाखपरिसहनुपने षमे नासे नहिं ष्ण नाफरस रा । सेतनपत्तेनवहेयलिस्कू । संगामसीसेश्व नागराया ॥१७॥ सिजेसिएा दंसमसा आ.आरोग वि० घणा प्रेकारना दे० सरीर आ० आक्रंद नतिहांपुषनुपनेबने र कर्मरुपएीरज पु. पूर्वलवने
फरसेष अपकरतोयको उपअहियासे सहे पाने कीयां१८||२३० यफासा ॥ आयंका विविहाफुसंति देहे अकुकुने तन्नहियासएद्या ।। रयाईरवेविद्य पुरेकमाई
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