________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
૨૨
पुन पूछीने मन्में तु तुझने जा धर्मध्याननुं विविघ्नधान जे कीपो नि आमंत्रण लोपत्नोगकैरी हे संयनि तन्नेसर्वमहारो ||अ-२०
दीर्घं तूलोग लोगव अपरायमस्तकक पुठिनणं मए तुम्नं ॥ जाण विग्घोनजोकन ॥ निमंतियाय लोएहिं ॥ तं सत्वं ससे स्वमा २७ एनएगीपरेंयु- स्लवीने स तेराजा बीजाराजामांहे अन् अएगारमाहे पनत्क्रष्टमन्त्नक्ति सक्कुटुंब
सीसिंहसमान ते सिंहसमानते एकरी परिवार रिसेहिमे ॥५१॥ एवं युणित्ता पा सराय सीहो ॥ अपगारसीहं परमाश्नत्तिए । सनरोसहिन सं० बंधवसहिन ध पमोनुरक्तयको विवनिर्मसचिन मिथ्यात्वरहित ५८ न-हर्षेकरी रोक्रोम |
पिकस्या रायनामू हो सपरियणो सबंधवो ॥ धम्माएफरत्तो विमलेण चेयसा ॥५८ ॥ नस्ससीयं रोमकू स का करीने पर प्रदक्षिणा अ. वांदीने सि० मस्तकेंकरीने अंगयो ननरापिप श्रेणिकराजा रुबीजोपणमुनी
पोताने स्थान
५९ एनीपरे गु० गुणें ||२२६ वो कानणय पयाहिए ॥ अनियंदिनुपसिरसा ॥ अश्या नराहिन ॥ ५९॥ईयरोपिगुरण
For Private and Personal Use Only