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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org . तीव्र वेदनाचं नुत्कृष्ट घो०रौऽसहिता व्यतिदोहेली मन्मोटोलयनुप ली० सालसनांपण न० नरकनेविषे वे पूर्वेकही अ.१५ जावे. लय पजावे २०१ पन्धी स्तिनीवेदना वेदना हवी तिवचंमपगाढान् । घोराने नए वेश्याए स्सहा ॥ महाबाजे । लीमान् वेदना लोगवी में जा० जेहवी मा० मनुष्य सोकने विषे तो० तेहवी दिसेबे वेदनापपा ए. एममनुष्य सोकनेविषे जेवीवेदना बेते ने नरकनेवि वेदना बे वेदनाथ अनंतगुणी अधिक जारिसा माएफसे सोए । तायादीसंनिवेयणाएतोपांनगुपिया १३ ने ५७३ ॥ । नरएक साता वेदना १४ स सर्व लवनेविषे साता के वेदना लोगवीने निमेषोन्मेषमात्रपरा जंब्जेलणी स्कवेया ॥ १४ ॥ सङ्घलवेस नयी सातावेदनी १५ ते ० तेम्मृगापुत्र बोल्या माता पिता विवेयणा ॥ ७५ ॥ तंबितम्मापियरो | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साता न साया । वेयणावेड्यामए ॥ निमिसंतरमित्तंमि । जंसायान बंग तारी बाएं पु० हे पुत्र जो तारी न० एतसो साथ चारित्र | परिगणु निοन दीक्षा सेवानी बेलोदी दासीए विशेषवली नेविषेसावध करवो २०१ बंदेणं पुपया ॥ नवरंपु सामन्ने । स्केनिप्प T For Private and Personal Use Only
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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