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ॐ || प० पाने के बिन्द्यो मुज श्रअनंतिवारें. ५१ मुठ मुमनेरे मुरु शस्त्राविशेषेकरी मत्रिमूखें मुन्मुसवें गगदाएंकरी अ१५ ने पूर्व मुमगरें करी
करी करी गईबासा पतेहिं बिन्नपुवो अगसो ॥६॥ मुग्गरेहि मुसंडीहि ॥ सूखेहिं मुसहिय गयास त्रापासरपासुषनीला पर पाम्यो उप अनंतवार ६२ रखु बरयता तिम्लीक्षाघारिपाखि का कानरपीए ___गागात्र
नी. राएकरी.. एकरी करी. लग्गगनहिं पत्नपुरक अणंतसो ॥६२॥ खुरेहिं तिरकधारेहिं ॥ बुरियाहि कप्पपीहिय | कद वस्त्रनी फारु कातरपीकरी बेखमकीघा नम्षालन अन् घणी वार६३ पा पार्सेकरी कूदंसी नहिं मिम परेंकाप्यो. पालीएंकरी त्रिगेडेद्यो । तारी
नेबे गनीपरें। कप्पिन फालिन बिन्नो नक्कतोय अगसो ॥६३॥ पासेहिं कृमजासाहि मिन अन् परवश बाउ बाहिठे बांध्यो रुपि 'बघणी चेन्पू विन्जीबपी रहितसरयो ग बचएरोमन्मगरमवनेरूपेपरपएँ
राष्यो वार
रोकीयो ५४ करी माघीमीजासेंकरी ||१०८ वा अवसोअहं वाहिने बहसछोय बनसेचेव विवाश्ने ॥६५॥ गतेहिं मगरजालेहिं
राष्यो
म पिब्जीबधीरहित सरोह कृमजासाहि मिनी
वाव
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