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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म॰ वर्षम पृथवीना राजाना माच्माननेमरदपहार हव हरिषेणा महमनुष्यमांचक्रवर्ती समान प० पाम्यागति प्रधान पत्तोग मफत्तरं ॥ to जयनामाचक्रवर्ती जिवजिनो न. प०यसकरीने १०१ पसादित्ता ॥ महीमाएास्ससूदाणो हरिसेणो मएफस्सिंदो अब सहित रा० राजा सहस्त्रक सु० लतिविधे राजांदीने द० संजम ४२ ४२ ॥ कसंजममार्ग प० पाम्यामोगती प्रधान ४३ अणि रायसहस्सेहिं सुपरिच्चामंचरे आदी जयनामो जिएारकायं आस्यो पत्तोगईमएफत्तरं ॥ ४३ ॥ दसाएल नि० निकाल्यौ स प्रतदा शकेंड नलहो निरक्तो सकसकेाचो दन्दसाए, देसेनोराजा पर प्रमादसहित च० बांकीने मुन्महाव्रतच्प्रादस्योद दसन्नरयं पमुझ्यं चन्ताएं मुणिचरे दस चोरयो ย न नमीराजानमाम्यो० आत्माने स० ॥ ४४ ॥ नमीनमे पाए ॥ स मतदा स सकेंद्र प्रेरथोधको चांदीने घर विदेहराज्य साथ चारित्रने विषेप सम्यक् मकारें सावधान ऊन: कं सक्के चोइ ॥ चनुरागेहिं वदेहिं ॥ सामन्नेपकवनं ॥ ६५ ॥ क. करकंमूराजा क० कलिंगदेसने विषे पं पंचास देसने विषेदु महराजा न० नमिराजा विदेह देसने विषेबूको गं गंधार देसने विषे १८१ करकं मूकलिंगैसु पंचासेसुयडुम्महे धूण नमीरायाविदेहेस गंधारे सुय For Private and Personal Use Only अ. १८
SR No.020853
Book TitleUttaradhyayan Sutra Mul Tabarth
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorKhetsi Jivraj Shah
PublisherKhetsi Jivraj Shah
Publication Year1895
Total Pages447
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size23 MB
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