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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बसूर्य०१२३ हा चं०/२४ औ०१९ रा० २० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ॥६०॥ मानि० २६ २४-८१ प्रकी०२७ रमणीण सणं चेव २७-३९६ राईदिएण तीसंतु रयण के० विरहिया उब्वट्ट०२२-१२४सू० | रागहोसनियत्तो रयण नेर० के० उब्वागणं २२-१२३सू० रागहोसपमत्तो रयणप्पभाइकुडनि० २७-९४२ रागद्दोसामिहया रयण पु० नेर० ० चक०२२-२६५सू० रागहोसारीणं हंता ,, ,, रयण०२२-२६४सू० रागबंध पओसं रयणाई सब्बरयणे २५-३२ रागस्स य दोसस्स य रयणिकर० णक्खत्ताणं २४-६८ रागं बंधं पओसं रयणिकरदिणकराणं २४-६७ रागेण गंगदत्तो रयणियर० चारविसेसेण २७-२०६७ न जाणंति य रयणियरदिणयराणं | , व दोसेण व २७-५२९ | रायसिरिमुवकसित्ता २७-१७४९ | राहुकेउविलग्गेसु २७-१८४७ रिक्खग्गहतारग्गा २७-१२८६ २१-७७ २७-१३ २७-१३८ रुक्खा गुच्छा गुम्मा २२-१४ २७-२८५० २७-८५ | रुद्दे सेए मित्त २७-४१२ | रुद्दो उ मुहुत्ताणं २७-५३६ रुरु कुंडरिया जीरु २२-४८ २७-१४७१ | रूविअ० जाब पजवा कर०२२-११९सू० रोगायंकेसु पुणो २७-२६४३ २७-१४४९ | रोहे सेते मित्ते रोसेणं पडिनिवसेणं २७-१३९ रोहीडगंमि नयरे २२-११३ | लजाइ गारवेण २७-१७२३ । लजाइ गारवेण य २७-१३३८ CANARARRRRRRR TAKES २१-६३ (र)विभोमकोण (ड)दिवसे । रविससिगहणक्खत्ता रविससिगहनक्खत्ता २१-५४ रायगिह मगह चंपा २७-१०५६ | रायगिहनिग्गया खलु ॥६ ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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