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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूर्य०१२३ चं०/२४ ०१९ रा० २० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥२०॥ कहि णं भंते ! बादरवाउ० २२-४०सू० कहि णं वेअड्डे पण्णते ,,, बेईदियाणं २२-४२सू० । ,, सूरियामे णामं० ,, भवणवासि० २९-११७सू० ,,, हेमवए । ,, रयण नेरइ० २२-४३सू० '| , भवणवासीणं , वाण देवाणं २२-४७सू० , वेमाणियाणं ,, वाणमंतराणं २१-१२२सू० , सोहम्मगदेवाणं ,, विजयस्स २१-१३६सू० कहिं पडिया लेसा ,वेमाणियाणं २१-२०८सू० , , सिद्धा ,, सिद्धाणं ठाणा २२-५४सू० ,, सुट्टियस्स २१-१६२सू० , मणुस्साणं पज्जत्ता०२२-४५सू० | कंगू या कंडुइया महाविदेहे. २५-८७सू० कंचणपुरम्मि सिट्ठी , उत्तर० २५-८८सू० कंतारे दुभिक्खे ,, मालवंते हरिस्सह २५-९३सू० ,, मंदरए पब्वए सो०२५-१०६सू० | कंदप्प कोकुयाइय , मंदरपब्बए पं० २५-१८७१० देवकिब्बिस मंदरे पब्वए पं० २५-१०५सू० .,, २५-१४सू० कंदा य कंदमूला य २२--१०८ २०-२७सू० कंबलसाडे णं० आवेढिय० २२-१९८सू० २५-७८सू० कंबूयं कन्नुक्कड २२-४९जं ० २५ २२-४६सू० काइयवाइयमाणसिय० २७-१३२९ नि० २६ २२-५१सू० काइंदीनयरीप २७-६६२ प्रकी०१७ २२-५२सू० काऊण तिहिं चिउणं २७-८८९ २४-२ काऊण नमुक्कार कागसुणगाण भक्खे २७-५४१ २२-१५९ का देवदुगई २७-१०१ २७-१२०८ कामभुअंगेण दट्ठा २७-३८५ २२-३१ कामविडंबणचुक्का २७-३९ २७-१६५८ | कामासत्तो न मुणइ २७-३८८ २७-१६८ कारणमकारणेणं २७-८०८ २७-१४७० का रंति व का लेणा २७-९३८ २७-१२९६ कारनामयनीसंद० २७-२९४ २७-१०२ | कालत्तएविन मयं २७-१२९५ | काला असुरकुमारा २२-१४६ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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