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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७-१६३ सूर्य०/२३ रा०२० जी० २१ प्रज्ञा०२२ ॥१८॥ नि० २६ प्रकी०२७ कतिविधे णं कोधे २२-१८९सू० क तिसमतिए णं केवलि० २२-३५०० कियपावोऽवि मणस्सो , परिणामे २२-१८१सू० | कत्थइ अइदुप्पिक्खो २७-१७९५ कयपावोऽवि मणसो कतिविहा , इंदिया० २७-१४६५ २२-२०१सू० , दुविहिपहि २७-१७९६ ,, जोणी० २२-१४९सू० २७-१३३७ , सुहं सुरसमं २७-१८७५ , २२-१५१सू० कत्थ य मुद्धमिगत्ते .२७२१७९४ कयरे ते बत्तीसं देविंदा २७--९३६ ,, परियारणा०२२-३९५सू० कप्पतरुसंभवेसु २७-१४८६ करकरिए रायग्गल २४-९६ , पासणया २२-३१४सू० २७--१९३ कलहं अभक्खाणं २७-२०२ , णिओया २१-२३९सू० कप्पम्मि सहस्सारे २७-११०५ संसारसमा० २१-१०१सू० कप्पाओ कप्पम्मि उ २७-११२५ कलं कलंपि वरं २७-१३६७ , , वेदणा. २२ -३३१० | कप्पाकप्पविहिन्नू कल्लाणपरंपरयं २७--३४३ २७-१५६७ २२-३३२भू० कप्पे सणंकुमारे २७-११२० कल्लाणफलविवागा विहे f० असपिण० २२-२६७मू० कमलामेलाहरणे २७-१६६८ कल्लाणं अग्भुदओ २७-५९४ इंदियउव. २२-१९९सू० कम्मटुक्खयसिद्धा कहं चंदमसो वुड्डी २७-२४ , , पोगे २२-२०२० कम्मस्स आसवं कहं पं० जीवे अटु कम्म० २२-२९८सू० , , भंते ! इंदिय २१-१९२सू० कहि पं० अणवन्नियाणं कम्मासवदाराई २२--४९सू० २७-१८५४ ,वयणे २२-१७३सू० कम्हा पं० केवली समु० २२-३४८सू० .., ईसाणाणं २२-५३सू० कतिसमतिए णं० २२-३४९० । , भंते! लवण २१-१५७सू० " " उत्तरकुरा २५-८९सू० ॥१८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020842
Book TitleUpang Prakirnak Sutra Vishaykram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Pustak Pracharak Samstha
PublisherJain Pustak Pracharak Samstha
Publication Year1948
Total Pages183
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size10 MB
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