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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेर साठी चावल की मेदा ओर तीन पाव सुपेद बूरे में मिला वै । और गिरी। छुहारे । चिरोंजी । रा कर छटकटक कर के मिलावे - सोरतीन पाव गा य के घी में मिला के वाहतो, साही चाहे थोडे सोपा नी मिला के लडू वाँधे ॥ सपना वत्ती सा ॥ सेम रको मूसरा । मजीठ । पुरानी सुपारी । पलंग नोड स रयानी के वीज। गाजर के वीज। बीज बंद। कोच के वीजों की मीगी । धाय के फूल | विडीया गोंद । चुन्नी गोंद । पलास पापडे का गूदा । इंद्र जो तेज बलापी पला मूल । माई | समंदर सोष। वाय विडंग । देसी । खज मायन । वाल मषाने। सोंठ। बड़े छोटे दोनों गो यस्। दोनों मूसरी | माजू फल | दाल चीनी । वानुष मा। लोद। मोचरस | कमर कस । कामराज । सीगडी व दूर की। वहफ ली। वडी इलायची असगंध एक २ तोले । सेल घड़ी तीन तोले। गेंहूं की मेदा साठी चाव ल की मेदा पावर सेर। सुपेदवूरो और घी साधर सेर लेके बनाले॥ पीडी ॥ इत्रि यों की प्रकती को अत्यं लगुरण दायक है। पानी को सुषावै मोरे पचावेश रीर की कांत को वढ़ा 'वे मोर बलवान करे मोरउत मरुधिर पेदाकरे! और पपके पतले वीर्य पडजाने। को और इन्द्री की सुस्ती को दूर करै ॥ विधि ॥ त्ताल भने । चाकसू । उटंगन के वीजा बहेडा | आमला। माजू फल | स्पाह जीरो । सुपेद जी रो। नोद। दो तोले छोटी बड़ी दोनों इर्लयची। सिरपानी के बीज। आयफ ल। लोग। एकश्तोले। विनोले कीमीगी। सुपारी। For Private and Personal Use Only ९९
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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