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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५६ - - - - रघूना औरछुहारेकोसंगाने में औरभीवारताहै।अथ दजाजामतिमुगीमुर्गासोमुगीकोमान्सवुडको तीव्रकरताहै और दिल कोविशेषवलकरताहे भो रमुर्गाकोमान्सजतागनदेतवताईचौरमुगीजवताई। अंडानदेतवताईवानानचितहथककड़ी। कडीकोषिजूरकेसंगवानेसेयहपुरणपायाजाताहेकेक कडीतरीमतलाकफपेदाकरीरकभीपित केकारणा सेषचजातीहसोरषिजूररुधिरपेदाकरै नोरनपनी हालत औरस्वाद मेंककडीसेविशेषवलवानहैयाको मिलालेने मेंदोनोंच्छा-मोरनिकालडालनेसे विशेष पदा होता है औरइन दोनोंकोसंगषाने औरभीविशन घवहतासवडल्लाआफरकावेटाकहताहै केनवी। साहवककडीकोषिजर कैसंगवातेथेषामें यहवात हैके ककडी ओरधीयादौनोंसद नरहें औरनोनचिण्यामान्स गरम खुश्क है पाभिलावशेसवकीपकतीगरमतर-ौर रुधिरपेठाकरनेवाली-ओरसासकीमदतगारहोगईह अथसरीदम्रर्थातदूधतयाशगरवाभीजीरोटीय हभोजन तुर्तपचजाताहे औरस्वादमेंच्छाहोलाहचोर नामसांस औरनिर्भलरुधिरपेदाकरताहै औरमिवलम नुष्यों को प्रतिगरपदायक हैनौरयाकीपक्रतीगरमतरहे। अथहलयाचौराहतायद्यपि सवमीठीवस्त्र सेहलुमामुगदहे परंतुयहएकधकारकाभोजन हैगेंहूंकी मेवाकोघीमेंभूनके मीठेकी चाशनीपकाकेमेदामिलाकेष नातेहेंजोस्वाद में अच्छागरमचौरसरहैरुधिर औररूहा कोपेश करेपर्रतुदेरमेंपचता हैयहभोजनहजरत केपसंद LLL - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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