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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - Ram - - m oolya - - रॉपरचूनसान के लगादे औरगंधक के टूकर करके। वाकपडांपरस्कवेोरवापर ओंधातवायाधकारर कवेकेगंधकसे मिलारहै और कोयलोंकी आँचवात विपरधरैतोगंधकपिगलकेदूधमें गिरे फिरगंधक कीले केवाकीतरीकोदूरकरैअर्थातदूसरे कपडासे पोंछड़ा लातूतीयागमहीनपीसके पानी मेंटिकियावनाकेओ चपरसुघालेमथवासूतीया कोपानी में घिसकर घोल देसोरवाकीचकोलेकेसातवेरपानीसेमजारलेमुवी दारसंगमर्यात मुरदासनकोघोटकेपानी मिला वैतीन दिननाईकाईवासन मेंधरारहनदेसोरदि। नमेंदो तीनवारहलातोरहेफिरपानीकोनिकालडा। लेऔरनीचेकीकीचडको पानीनये में मिलाकरकवेः तवकीचनीचे बैठेजायजवपानीटपकाकेछानले। हरतालाहरलालकेटूकरकरकेएक कुलडाध रिकेंसकोरासेवाके मोहपरचूनलगावंदकरसोरचा सकोसमें एकछेदकरके मंदी आँचपरधरैजवलाई। वामें मेकालोधुआँनिकसेनवनाईधररहनेदे और जवसुपेदधुनिकसनेलगे तवजेतारले संगसुमा ॥ संगसुर्मा कोरुई लपेट के जलावैजवधूभ्रोनिक लना वंदहोसवसाफ करले अथवा वकरीकीचरवी मेलपेटकर साँचपररकवेजवचरवीजलजा यऔर सुर्मालालहोजायसव निकाल के लडकेकी माकेदूध तथागायकेदूधभुमालेअथवापरल करके पानीघोलकैवाकीगादनीचे बैठजायसव सुषालाननानोंनकोएकदेगची धरकेटकनासे - - - - - - - - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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