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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . ..... o nam 3 s - - - करातीहीइसीधकारशीरदुखनारमतिघेटीकीमाहो| |mगुग॥गिलहिकमनर्थातकपरोटीकीयहक्रियाहै। एककोराकूडामेदवारचेवाकेम्परएकसकोगंधरकेचू नसेवाकोमुहवंदकरैोरकपडाभिजोकेवापरलपेटें औरमाटीलपेटकेटहरेसमयताईमसेसांचौरपेगगुण श्रीरजोपर्कवनाहीनोदवा बरयाकापानीडालनाम नमहै औरसवोषधी में कूमाकोमीठोपानीडालनाम |चित है परंतुहकनामेंधारीकूआकोपानीडालनाउत्तम हिमिकालहसबलव्यानसरकुलीयैमुन्नलकहम दवीये।अर्थात प्रथमषंडोषधीयोंसेलगहश्रेसवंक मेकेिपकर्णमें फसलपहली ओषधी केधरणाकरने और उनकोवल कीसमयबाधने केयकमेंउन्नमविधीतोयहहै केजासस्थानकीजोत्र च्छी औषधीहीनीहीवही की काम में लावै औरइनकी को निघंटससमझलेतथावुमन औरदेशाटनीमनु पोकेमुषसेउदारणकरालेओरौषधीतरप्रस्थ नातथाचतगरमनथासतसीतलौरातहवादा र औरधरभाटीके प्रस्थान मेंधरनेसेनस्कावलजार नारहना है और विगडनानीहे ओरखुरीहोजाती है। सवषगट होय केओषधीकेतीनभेदहेंधातादिक काष्टादिक ओरजीवजंतुआदले केअथवाइमीनी नभेदों सेमतपतहोतीहाजमादाताअर्थातधाता। दिकवोहवस्तुहोती जिनकाननोपेड है-ओरजन में जानहैननके लैनका कोईसमयनही और मनकीपह - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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