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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - तीन रमाशे। गुलाव में घोटे औरेगा| वजुवाँ।कासनी के वीजा कहरूवाशमई रेशम कतराहुया।शुकेकडा। राम तुलसी।केवीजा स्तुरखुद्धसा वहमनसुपेदागरराछोटीइलाय ची कैदान जदचार खताईदरूनजअकरवीवा लछडागुलावके फूल।लंचेरचीराके वीजोंकीभी गी छै माशा और मीठेअनारकोशरवत तिगुने में इनसवको चूरनकरकेराखेमोर४ दिनपीछे३ | माशे से छमाशे ताईकी मात्रा काम में लावैायाः कृतीके हकीम हाजकुल सुल्क कमलरवों की वनाईहजोसवप्रकार के वावलेपनको गुण करताहै नीरवलको वहावैहै।विधियाकृत मोती।मुंगा पन्ना।लाजवर्द। कहरूवानिोरमाशे तेजपातागुलाब के फूलागावजुवा के पन्ना।दोंनों वहमनादोंनों तोदरी। मयोधनियोंश्रामलोदोनों चंदनादोरतोलोनगरादोंनोंइलायचीयों के दा | नेदाल-चीनी रेशम कतरादुना।वालछडावि जोरेकाछिलकााएकरतोले। कस्तूरी२माशाके सर। राम तुलसी।दरू नजयकरवी। बूजीदोंछि २माशे! सोने चांदी के वर्कनगवीसशसुपेदमित्री छटॉकाओरधर्क केवडाभोरगुलावजलडेड २ पाव में चाशनीकरके याकूतीवनालेयाकती ॥जोमुवादको निकालेभोरचाय औरतरी के मुवा दकोनिकालेप्रोरअत्यंतवावलेपन कोदूर करे है। || औरदिल की ओरभस्तक को और निजोड़ों के - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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