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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २१५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जब मान्स गलजाय तव पोटली को अलग कर ले।। और मान्स को मल के पानी छान ले और यह वा स्तुजी रात्री केपानी भेंभिजो यराषी होंय सोडाले, और ५ सेर गाय को दूध ताजा मिला के अर्क बेंच लेखी रसिर नीचेपर ३ माशे केसर और छै माशे छोटी इला यची के दाने की पोटली बाँध के । गावजुवी के पत्ता | शु डहल के फूल सूखे। मामले। किशमिश । छुहारे । सेहभर को भूसरा विल्ली लोटन | गुलमंडी याधर याचा उस्तुषहूस । दाल चीनी । तज । तेज पाता मुलाव केफूल। कासनी के बीज। दोनों चंदेनों का चूरा । भ्वा वनूस को बुरादा । गोरू बडे । उन्नाव। गुल नीलो फर एकर छटाँका दोनों बहमन। दोनों तोदरी। दोनों मूसरी। इंदर जो । चार५ तोले डाले । प्रघट हो केजो। मान्स मत में उचित होय नहीं तथा हाथ न लगेली न स्केन भिला ने से कुछ गुण में हानेन होगी । जो मौ रसव वस्तु मिली होंयतो और जो विशेषवलबान क रनी होयतो नीलकंठ चारन को मान्स । मोर१० ममी । लान को मान्स वढावे || !फसल एकुसौ दसवी ॥ मायुश्शईरे ॥ प्रर्थात् ज को घोट मोर मायुल सलामर्थात् जडोका।। गुरा॥ वहुधा हकीमों की इस बात पर सम्मत है के घाने की दवाई में ओ के घाट से कोई उत्तम दवा नहीं है मोर इसमें १० प्रकार के गुण ९ सीतल करने वाला २ गाँठ वो / लने वाला३ कोठा साफ करने वाला ४ नदर की स For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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