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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २९२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाने पीस के एक २ तोले मिलावै सौर चाशनी पक जा ने के पीछे । मुलहटी को सत्त । कतीरा । बंबर को गोंद है २ माशे चूरन कर के मिला वै र रात दिन में पा न-चार वेर चाटा करें ॥ ||फसल एक सोध्याठवी ॥ लबूव अर्थात् अवलेह - मोरे लौज भ्यर्थात् कत ली में ॥ लघुव ॥जोपेडू को गरम करे चोर बन्ल वान करे इन्द्री को प्रवल करे चीर्य को वडा वै मोरे दिल को मस्तक को ताकत दे और शरीर को मोटा करें मोर प्रसन्न करे और मस्त करें खोर स्त्री प्रसं गोर वीर्य की शुद्धता और इन्ट्री के प्रवल करने में तुल्प नहीं राषै है || विधि॥ पिस्ता की मीगी। वादा म की भीगी। फन्दक की भीगी। अश्वरोट की भीगी। चिल गोजा की मीगी। कर्ड की भीगी। विनोले की मांगी। सुपेद पोस्त के दाने । सुपेद तिल धुने दोस्तो ले। गाजर के वीज । शलगम के बीज । मूली के वीज प्याज के चीज । गंदना के बीज । इन्दर जो । हलों। हाल म के बीज इंड २ तोले पानी में ऐसा पीसे जो कपडे में छान्ना न पडे और ३ पाच सुपेद बूरो - और पाव सेरशह त की चाशनी में जस्को मिला के पका के जव पानीज लजाय तब नस्में कुलीजन। शका कुल। दोनों बहमन दोनों तोदरी । सालव मिश्री एक२ तोले । चूरन करके मिलावै ॥ लबूव ॥ जो वीर्य को वहा चै और पेड़ो रनरों को विशेष वल दे ॥ विधि ॥ सुपेद चूरो और शहत - यार सेर मिला के चाशनी करें और दाल । For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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