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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - निवोलीकी मींगी।वकायनकेवीजों कीभींगीरसोत। सववरावरलेकेलेपकप्रथवागमीठेघीयाके वीजों की नींगी। भालू की गुठलीकीमींगी गायके। धीमें पीसकेलेपकरै॥ .. .॥फसल बहत्तरवी॥ गुरदे औरइन्द्री केरोगदूरकाले वाले जमाद) जो गुरदेकी सूजनदूरकरें॥विधिलवनफशा हरे धनिये कीपनी कुलफाकी पत्नीछिरभावामी|| ठिबादामकीभींगीदाने।गुलावजल में पीसकेलगा विप्रथवा यहलेपगुरदेकीसूजनकीसरबती कोदूरकरै विधि।उश्कामुकलाअर्थात् गुग लामस्तंगी।तीनरमाशे।पानी में घोलकेरखतमीके। वीजाखुबाजी के वीजासोयेके वीजागुलवावूना। अलसीकेवीजामेथी के दानेापांचरमाशा चूरनक रकेमिलाके लेपकरे।अथवागुरदेकीसूजनको पटकावै॥विधिागेंहूंकोचूना सोयाकेपन्नाागुल वाचूना।मुल्हटी।छरमाशहतडेटनोले। गाय! काधभिलाके पकाकेलेपकरै जमादइन्ट्री में| रुधिरजमजानेको पेसावकीराहसेनिकाले।ाविधि गजमोदाअजवायनासातश्माशाजवासेकेपन्ना॥ नारखूनागुलवावूनापांचरमाशाजौकोचूनां चनों कोचून एकंरतोलेोकरनवकैपन्नोंकेरस में पीसके लेपकरै|जमाद|जोपेशावके वंजान हो को इन्ट्री मेंराधजमजाने के कारन करकेवंद होजायक को गुणकरे विधि। चुकंदर केपन्नामेिथीकेटाने मस्तगी विधिनियरदेकीस - दा - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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