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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९५३ - - - - Ram - - - - लगाके मस्तकपरराथे|ज़माद| जोकफ केसरसाम कोगुणकरे है विधिस्तुरखुदसागरदसलीव ॥२माशे। मूंगकोचून४ तोलेसुंगीका-अंडानगरकी। जरदी मिलाकेगुलरोगन और पानी के संगलेपकरै।। राजमादाजोमूप-औरनिकोगुणकरेह विधि गराईचीतादीनानरूमानोरमाशोगायकैदूध में पीसकेगरमागरमलेपकाजमादाजीसकतेको गुणकगविधिकोयलकेफूलाकलोंजीराई। छैरमाशे जायफलालांगाअकरकरारादोरमाशेगा यकैदूधमेंमीसकेलेपकरे। फसलकिर्यसलवी॥... नाकीरकान के रोगों के दूर करने लपोंमें। मादाजोकानकीकडीसूजन कोगुण करै हैचि धिवाकलेको चूनाजी कोचूनराकरतोलेागुल वाचूनागुनवनशोफागुलखतमीछेरमाशेनार || नाश्माशे वनफशाके तेल मेंमल केलेपकरैज|| माद।जोकानकेनपजाने और कुचलजानेको राणकरैहै। विधिशमुगासाकाकीया।सनोव: रकागोंद छैरमाशोताजा मेंहदी के पन्नालेके पीसके। लेपकरैथवासपीगेटीजौकी पानी में भिजी गायकोदूधश्रोरगुलरोग मिलाके लेपकरेजा र्भद जोललाटपरलगानेसेनकसीरको बंदकरही। विधि।गुलनाररागरूविरकी ताजापनीएकर) मोलाकपूरमाशाअफीमश्माशेलेके लेपकरे। अथवागहरामाजूफलावनारको छिलकाम्या - - - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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