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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ९४८ - - meeta - - - - लेकी श्रादिकोगुणकरै है।विधिवंगछैमाश अंज़रूत अर्थात् सोनामाघीभुनी हुई।गधी के दूध कोपुटदेकेविडीहर्डकोछिलकारतीला३माशे डेकीमुपेदी में प्याफ वनावै॥ध्याफचमेली। जोढ़लकामोरनारखने औरवामनी ओरनिगाहको अंधेरेपनकोदरकविधिचमेलीकी ताजा कलीनग३०॥सुर्भाषिपरियाालीलाथोथासोराक लमी। सिर्सके वीजोंकीमीगी।तीनरमाशोकेशर माशेलेकाकागदीनीवूकेरस दिन घोटके पाफवनाचे धूयाफसहमराजोटलकात्री। रिनारवनेचौरकुथी औरफुल्नी औरवामनीऔरने वोंकीपुरानीमुखीकोदूर कगाविधि।फिटकि रिचाधीकच्चीवाधीपक्की। सोनेकीघडीया।पपी रिया।सुर्मातीनरमाशेादम्मुलनरखवेनछेभाशे। मुगीकेडेकी सुपेदी मेंश्याफवनावैपयाफ नवजराजोखुजली औरटलकाचोरवामनी। औरनारवना औरफूली कोगुणदायक है। विधि सुधीजंगालमाशोचादीकीघडीयाविवरकोगों दावंगासम्टूफेनादोरमाशाहरीततलीकेपानी में। याफ बनाये। फसलइकसठवी॥ -कान औरनाक कैरोगों को दूर करनेवा श्याफेमें ॥धूयाफाजोबहरेपन को दूर करे विधि। दोनामरुधाराईतितली।इन्द्रायनासववरावर ॥ लेके वकरी के पित्तश्याफवनावैऔर कड़वेव - - - namainal I' mmPHerestongue - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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