SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४२ Prese - n mor memee - - - - - D - a - - manapanemummer-in छटोंकपानी दरपावके में प्रोटावैजवपाल अंकपानीजलजायनवमल के पानीछानले। और त्राहीपानी में छटाँक-औरफूलमिला केनौटायाही प्रकार३रएकररतलमा त्पारफूल मिलाकै पकावैनोरमलकैलान लेोरपीछेकीबेरपालटाकरोमिलाकेचा|| शनीकरैपघटहोयकेयाहीप्रकारसेजितने फू लविशेषकीयेजायंगतनी हीधवलताविशेषही गी॥धारवतुगुलावकैफूलकाजोपिन कोमादिलोरगरमी कोशाते करनेवाला और प्यासका बुझानेवालाहै विधिनाजा गुलाव केफूलपाछटाँक९९कटोकपानी में श्रीटावैभल| के छान ले औरपाछाकसुपेदपूर की चाशनीक ॥शरवतगुडहलाजोगरमीचह जानेकोदू रकर औररोकानीकै रोगकोदूरकरै भोरहोलादि लीकोमोवै और चहरेकीक्रांतिवहावैऔर अध्। करे ओरखदर औरसवताकतों को प्रवलकरहै। ॥विधिगगुडहल के फूलनगएकसो।सवजी। | भोरंजीरोंदूरकरकेतचौर९४ तोलेकागदीनीव करसमें पेहरभिजाकर छटॉकमुपेदमित्रीकी| चाशनीजोमेहयादरयावके पानी में वनीहोमिला वैश्रोरशीशी में भरकेमाधीशीशीषालीरहे-नी॥ रशीशीका हमोंमसेवंदकरकेनाडताई पानी। मेंडूवीराधेचारपाँचदिनजवनवाले और छानक शरवतशीशी मेंरा औरयहशरचनकिंचितपक्ष nuae Ra m anars wasramo - area For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy