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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १३७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जुवा के पत्ते एक तोले। अकास बेल के वीज डेडतो ले ३ पाव सुपेद कंद लेके शर वन वनाले ॥ श्रथवा । यहार वत दीनार इस्का चलाने वाला हकीम सुदीदा है यह शरवन मादिल है और नानाकरता और कलेजे की गाँठे बोलने वाला और नसों की ओर पृष्ठों कीगाँ ठों को खोरजन के साथों को दूर करें || विधि || रेवत चीनी । रवताई। अकास बेल के बीज छै २ माशे । गुला व के फूल २ तोले। कासनी के वीज ३ तोले। कासनी की अड का छिलका ४ तोले। सुपेद कंद ॥ छटाँक लेके शर वन बनाले || For Private and Personal Use Only * प्रकार के गुण के ॥ फसल पचपन वी ॥ गुर्दे चोर मसाने और छिद्र रागों के दूर करने वॉशर व ले तोंमें || धार वृत कुलथी का ।। जो गुर्दे और मसाने की पथरी को तोड़ के पेशाव के द्वारा बहाइ के निकाले || विधि|| कासनी की जद। सोफ की जड़ | मेथी के दा नेतोले । कासनी के बीज। सोंफ । घीरा ककड़ी के बी जाश्वर बूजा के वीज डेट र तोले। अजमोद । परसीमा वशाँ । २ माशे। सुपेद बुरो सात छटाँक लेके शरधन बनाले || धारवत हल्यों ।। गुर्दे मोर मसाने के रेग को और मुवाद को वहाय के निकाले ॥ विधि ॥महा ल्पों के वीज ४ तोले। कबाब - चीनी। स्वर बूजा के बीज एक तोले। मध सेर सुपेद कंद लेके शरवतधना ले। शरवत मालू वालू । जो मुर्दे और मसाने के रोग और पथरी को मैन के होरा वहावे ॥ विधि || यालू वालू तोले लेके मौटा के छान ले। और दु १८
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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