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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८४ re m emummer- - - - - - - - - - - - - बनावैनथवावच्चोंकी॥षांसीकोदूरकरैहै।। विधिागेंहू कोसनावर को गोदामुलहटीकोस अफीपासववरावरलेके वीहदाने के लुनाव गोलीवनाचा फसलतेईसवी भातशक-औरइन्द्रीके रोगों को दूर करने कीगो। लीयोमेंविधातशकापातशककोदूर करे सफाई केमादिौरत मेंषानागुणकरेहे ॥वि पिणकालीहडएकतोलेावंशलोचनमानी लामोथालीन माशापाव सेरनीबू के रस में घोटके जंगलीबेरकेप्रमाणगोलीवनचिौरसंजासवेरे एकरगोलीबायोरमिठाईसे परहेजकरै।अथ वापाखुरासानीभजवायनासुपेदकस्थानाठ २मासेलोंगनगनाठापानी घोट के छोटेजंगली बेरकेप्रमाणगोलीवनावै चौरसंजासवेरेएकरगो ली दहीकेतोडकेसंगनिगलैनोरमूंगकीदालाधी (यादही दूधाइसादिकवस्तुनघायाथवा सातशक केदूर करने में यहगोलीआमाईहावि धिकालीजवाइड बैतोलानीलाथोथामुिरदा संगाडेढरतोले।चूरन करके लोहकोवासन मेंनी मके घोरासे जामे तामेका पैसागडाहीयानोरका गदीनींबूकोरसडालडालके घोटेजोवासवासे रस्तषसाथ पीछे वामें वंगचारमासेमिलाकर गौरवचनाकेप्रमाणागोली बनावैमोरसात दिनताईलमालारएकरगोलीयोडेनीवूके रसके - - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - S aama - new - - - - - - For Private and Personal Use Only
SR No.020831
Book TitleTibba Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
PublisherKanhaiyalal Munshi
Publication Year1882
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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