________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
- ताड़पत्र पाण्डुलिपि की संरचना
ताड़वृक्ष की कोमल हरी पत्तियों को काट कर नियंत्रित विधि से सुखाया जाता है।
ताड़पत्र के भेद-विशेष
पत्रों को धूमन करना, उबालना, गीली मट्टी के नीचे रखना, लकड़ी पर घिसना, पत्रों को परिपक्व बनाने के लिए करा जाता
ताड़ वृक्ष के अनेक प्रकार हैं, किन्तु इनमें से कुछ ही हैं जिनके पत्रों पर लिखाई करी जाती है। यह हैं,
पाल्माएरा पाल्म व तालया
ताड़; तालिपॉट पाल्म व
उपयुक्त आकार में इन पत्रों को काटा जाता है तथा इनमे एक छेद करा जाता है, जिसमे पाण्डुलिपि को बाँधने के लिए सुतली पिरोई जाती है।
करलिका, श्रीतालम या
तालि; व कोराईफा
तालिएरा रॉकस्ब्।
ताड़पत्र को श्रीलंका में ओला तथा थाईलैण्ड में
लोहे की तीखी लेखनी से इन पत्रों पर खुदाई करके लेख तथा चित्र बनाए जाते हैं।
लान कहा जाता है।
-
ताकि खुद्रित लिखाई स्पष्ट रूप से देखी जा सके, काजल की स्याही पत्रपृष्ठ पर घिसी जाती है।
299TARANG
1010
For Private and Personal Use Only