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- पाण्डुलिपियों को
आपेक्षिक आर्द्रता एवं तापमान से कैसे बचायें।
१. तापमान एवं आपेक्षिक आर्द्रता के उतार-चढ़ाव से पांडुलिपियाँ नष्ट हो जाती हैं । पाण्डुलिपियों
को माँड रहित मोटे सूती कपड़े में लपेटें एवं अन्दूनी कक्ष में रखें । मोटे सूती कपड़े (बफर) आर्द्रता को धीरे धीरे सोखते तथा छोड़ते हैं, जिससे अनियंत्रित उतार-चढ़ाव के हानिकारक प्रभाव कम हो जाते हैं।
२. 'एयर कंडीशनर' अगर प्रयोग करें, तो उसे लगातर दिन के २४ घण्टे तथा वर्ष के ३६५ दिन चालू
रखें । अगर यह सम्भव नहीं, तो इस यंत्र को संग्रह कक्ष या भंडारकक्ष मे स्थापित न करें । एयर कंडीशनर' को बार बार ऑन तथा ऑफ करने से तापमान तथा आर्द्रता में तीर्व उतार-चढ़ाव होता है, जिससे संग्रहित पाण्डुलिपियाँ बहुत शीघ्र ही नष्ट हो जाती हैं ।
३. प्रतिदिन तापमान तथा आपेक्षिक आर्द्रता को ड्राई एण्ड वेट थर्मोमीटर' से नापा तथा 'थर्मोहाईग्रोग्राफ'
से रिकॉर्ड करा जा सकता है । कम से कम एक वर्ष तक के ऐसे रिकार्ड, उतार-चढ़ाव की गति को समझने तथा सुधारात्मक कदम लेने के लिए सहायक होते हैं ।
४. प्रदर्शन पेटिका मे सिलिका जेल रखने से उच्च आपेक्षिक आर्द्रता की मात्रा को कम कर सकते हैं ।
५. यदि आपेक्षिक आर्द्रता का स्तर ४५% से कम हो, तो पाण्डुलिपियों के शुष्क तथा भंगुर हो जाने
का भय है।
६. पाण्डुलिपि संग्रह कक्ष में अच्छा वायुसंचार अनिवार्य है । अधिक आर्द्रता, अंधकार एवं स्थिर हवा
में फफूंद का जन्म होता है।
७. चित्रित पाण्डुलिपि के पत्रों के बीच ‘टिशू पेपर' रखें ।
८. दर्शकों के गमनागमन को नियंत्रित करें ।
९. संग्रह के आसपास पानी को जमा न होने दें ।
१०. यदि पाण्डुलिपि गीली हो जाए, तो धूप में न सुखाएँ ।
कमरे में, पंखे की हल्की पवन में सुखाएँ ।
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