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________________ Shri Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailash a nmandir उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगहओ उवचरयभावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलुपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव पाडिपहे ठिच्चा हंता छेत्ता भेत्ता लुपइत्ता विलुपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ संधिछेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ गंठिछेदगभावं पडिसंधाय तमेव गंठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवह ॥ से एगइओ उरम्भियभावं पडिसंधाय उरभं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ । एसो अभिलावो सवत्थ ॥ से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अण्णतरं वा तसं पाणं जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भव ॥ से एगइओ सउणियभावं पडिसंधाय सउर्णि वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भव ॥ से एगइओ मच्छियभावं पडिसंधाय मच्छं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ गोघायभावं पडिसंधाय तमेव गोणं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ ॥ से एगइओ गोवालभावं पडिसंधाय तमेव गोवालं वा परिजविय For Private And Personal
SR No.020782
Book TitleSutrakritangam
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherVenichand Surchand
Publication Year1917
Total Pages859
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size18 MB
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