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रोगमनाचा
||६५४) अनुक्रमणिका शीश ऽर्शनामसागरोगनाशपाया कि राम असायनांसलग
अय पीररोगनी शत्पत्तीलक्षावापत एन्हाप्रयजीरोगनांशरगपाय तीररोगनेयवानोरीत्या फिन्दाथ सीररोगनूंसामान्यरक्षण रिका पजाश्रय धाउप्रारनाररोगतेनानामरस्य पन्टअप चातोरनाक्षी कलत्रय पीतीश्नांसक्षगर पाणभय ओरनांसहएगरोग सिअप सनीपातीधरनालक्षगरोगग. लयले छ हीरोरानो पारनपस्योरनालक्षागनेययानुशरणका पप्रिय पोहोरवपयापीयोरनालासपोर पाठ अर्थ माघेरी गुरिनासनगरोगका एसए यस्तोरन्यवक्षाग-रोगा पर अय नमोरनारगनेससगरोगन्दा पराजयप्रसाध्यठिीररोगनांखसागर पष्टप्रय पुनः असायनातक्षागर कलय वातोरनोडीपायलो. परनोरनो दिपाया. शिष शेरनीयायः पिशवी सन्नीपातीहरनोरोपायोन
प्रथमोरनोरीपाय पाश्रयणीयतनसामानणोरपाटरपेक्ष पिराश्रयसोथरोगोलनांमलेनीशत्पचाराला
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