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सुधासंगीतवैद्यशास्त्रग्रंय. (499) अथणारे दर्यानी प्रहारना ना गनीं ॥ डेसर्-लगली नेलपींग तनसोमलीने घरेमनीमंगमारेश्तएगी। सीरीयोयारडीने मल्योसर्वसामानतेमाल रीने रुपछलांग्यनामृतमांभोजीसीने
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डावासागमेलरीतर्तीने उन्मुष्मआंधीने शरहीन्गुप्तरापे-पछेपांगमेहींन्योयेन्शन जेठघरीभारहीनरे हे मारे शर्धमायेन्मा तुरमन्मांनुनी तथाये-प-रेवाशं रेघारेश पारीघोन्नेोमन्मयहर्षमांहाय सीधोन्द.
अवगणामांशेयलीयायछेतेनो प्रहार रा गोपयरत् ॥ इंडनडीतरे श्रेणीयो हु मेघग्रीव-रोगतेोयली मैतन्गीताल बन्पन्साएर मांणाने अमेजची दरी दीनमायगरोगतेोयली थी इश्मायन्दन मासासीनीयेन्मंयमांजरामांजायन्यौ हहीन सुरगपीये नयी प्रेयसी नयन्उ -
अथ पांगरीसाग्यानो प्रशर ॥ परजेपंजा सरीमोन्क्रानीमंहन गाय- स्वाशप्रशस्ति प्रोममी नजलाभ्युदेवाय १-मंडुसमुतरलें
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