________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१
मेरी अखीयां सफल भये, मेरे नयना सफल भये. तीरथ जगमा छे घणां रे, तेहमां एह छे सार शत्रुजय समो तीरथ नहीं रे, तुरत करत भवपार, युगलाधर्म निवारीयो रे, प्रभु त्रण भुवननो सार सोवनवी देह छे रे, ऋषभ लंछन मनोहार. सोरठ मंडण तुं धणी रे, सकल कर्म करे दूर केवल लक्ष्मी पामवा रे, वांछीत लीलानूर. सूरत नीरखी ताहरी रे, प्रभु आनंद अधिक अपार उज्वल गिरिराज प्रभु रे, आवागमन निवार. गिरिवर फरस्यो भावशुं रे, सफल कीधो अवतार श्री जिनहरख पसायथी रे, संघ सदा सुखकार. माघ मास सोहामणो रे, सुद बीज ने रविवार सन अढार बासठ मा रे, यात्रा करी सुखकार. घणा दिवसनी चाहना रे प्रभु, देखवा तुम देदार रत्नसुंदर पाठक कहे रे, वो जय जयकार.
. ३४. मोरा आतमराम मोरा आतमराम, कुण दिन शेजेजे जाशं; शेजूंजा केरी पाजे चढंता, ऋषभतणा गुण गाशुं. ए गिरिवरनो महिमा सुणीने, हियडे समकित वास्यु; जिनवर भावसहित पूजीने, भवे भवे निर्मल थाशं. मन वचन काय निर्मल करीने, सूरजकुंडे नहाशुं; मरुदेवीनो नंदन नीरखी, पातिक दूरे पलाशुं. इणगिरि सिद्ध अनंत हुआ, ध्यान सदा तस ध्याशु;
१
(७४
For Private and Personal Use Only