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प्रवचन पेखीने कीधु में पारखं रे, ऋषभने जोई जोई हरखे जेह त्रिभुवन लीला पामे तेह. ४ भवोभव मांगु रे, प्रभु ताहरी सेवना रे, भावठ न भांजे रे, जगमा जे विना रे, प्रभु मारा पूरो मनना कोड, ईम कहे उदयरत्न कर जोड.५
२२. सिद्धाचलनो वासी प्यारो... सिद्धाचलनो वासी प्यारो लागे मोरा राजींदा, विमलाचलनो वासी प्यारो लागे मोरा राजींदा, ईण रे डुंगरीयामां झीणी झीणी कोरणी, उपर शिखर बिराजे मोरा राजींदा... काने कुंडल माथे मुगट बिराजे, बाहे बाजुबंध छाजे मोरा राजींदा. चौमुख बिंब अनुपम छाजे, अद्भूत दीठे दुःख भांजे मोरा राजींदा. चुवा चुवा चंदन और अगरजा, केसर तिलक बिराजे मोरा राजींदा. ईण गिरि साधु अनंता सिध्या, कहेता पार न आवे मोरा राजींदा. ज्ञानविमल प्रभु एणी पेरे बोले, आ भव पार उतारो मोरा राजींदा.
२३. मनना मनोरथ सवि फल्या ए... मनना मनोरथ सवि फल्या, ए सिध्या वांछित काज, पूजो गिरिराजने रे,
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