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धन्य धन्य सोरठ देशने जिहां ए तीरथ जोडी, विमलाचल गिरनारने वंदु बे कर जोडी. साधु अनंता ईणगिरि सिध्या अनशन लेई, राम पांडव नारद ऋषि बीजा मुनिवर केई. मानवभव पामी करी, नवि ए तीरथ भेट्यो, पाप करम जे आकरा कहो केणी पर मेट्यो ? तीर्थराज समरुं सदा सारे वांछीत काज, दुःख दोहग दूरे करी आपे अविचल राज. सुख अभिलाषी प्राणिया, वंछे अविचल सुखडा, माणेकमुनि गिरि ध्यानथी भांगे भवोभव दुःखडा . १३. श्री आदिश्वर साहिबा हुं केम...
श्री आदीश्वर साहिबा हुं केम आवुं तुम पास, सिद्धगिरि भेटी अमे हवे तोडीशुं भवना पास, चालो सिद्धाचल जईए.
धवल देवलियाना उंचा शिखरे घुंघरीया बहु घमके, दर्शन पामी गिरिराज हुं भवियण मुखडा मलके. नित्य उठी हुं रोज सवारे बनतो तुजमां मगन, क्यारे सिद्धाचल भेटशुं मने लागी एक लगन. स्वामी सीमंधर निज मुखे जश वरणवे महिमा अपार, तीन भुवनमां नहीं कोई तीरथ ए सम तारणहार. छरी पालता ईण गिरि आवे भरतादिक नरराय, गिरिवर पूजा रयणे वधावी पामे भवनो पार
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