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ज्यां गिरिवर चडतां भावे, रामपोल छल्ले आवे; डोलीवालानुं विसामानुं ठाम छे.
ज्यां नदीं शत्रुंजी वहे छे, सूरज कुंड शोभा दे छे; न्हायो नही जे एनुं जीवन बे बदाम छे.
ज्यां सोहे शांतिनाथ दादा, सोलमा जिन त्रिभुवन भ्राता; पाले जतां सौ पहेलां प्रणाम छे.
ज्यां चक्केश्वरी छे माता, वाघेश्वरी दे सुखशाता; कवडजक्षादी सौ देवता तमाम छे.
ज्यां आदीश्वर बिराजे, जे भवनी भावठ भांजे; प्रभुजी प्यारा निरागी निष्काम छे.
ज्यां सोहे पुंडरिक स्वामी, गिरुआ गणधर गुणधामी; अंतर जामी आतमना आराम छे.
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ज्यां रायण छांय निलुडी, प्रभु पगलां परे परे रूडी; शीतलकारी ए वृक्षनो विराम छे.
ज्यां नीरखीये नव टुंको, पातिकनो थाये भूको; दिव्य दहेरानी अलौकिक ठाम छे. सौ.
ज्यां गृहिलींग अनंता, सिद्धि पद पाम्या संता: पंचम काले ए मुक्तिनुं मुकाम छे. ज्यां कमलसूरि गुण गावे, ते लाभ अनंतो पावे; जात्रा करवा मनडाने मोटी हाम छे.
३. विमलगिरिने भेटता
विमलगिरने भेटता सुख पायो रे (३)
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