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महिमा मोटो ए गिरिवरनो, सुणता तनहुं नृत्य करे; कांकरे कांकरे अनंता सिध्या, पावन ए गिरि दुखडां हरे, ते तीरथर्नु शरणुं होजो, भवोभव बंधन दूर करो. ९ दुषमकाले ए महातीरथ, भव्य जीव आधार खरे, जुग जुग जूनां संचित पापो, ते पण जाय दूर खरे; शिवमंदिर चडवा निसरणी, अनंत दुःखनी राश चूरे, नित्य प्रभाते नमीए भावे, अनंत सुखनी आश पूरे. १० सुंदर ढूंक सोहामणी दीपे, नीरखतां पातिकडां टले, आदि प्रभुनु अनुपम दर्शन, करता हैयुं अति उछाले; त्रण भुवनमां घj घणुं जोतां, क्यांय ना एनी जोड मले, द्रव्य-भावथी जो जिन पूजे, तो शिवसुखनी आश फले. ११ श्री पुंडरिकगिरि श्री विमलाचल, श्री सिद्धक्षेत्रने नित्य नमुं, श्री सुरगिरि श्री महागिरि, श्री पुण्यराशिने हुं प्रणमुं: श्री शत्रुजय मुक्तिनिलयगिरि, स्तवतां आतम मारो दमुं, श्री पुष्पदंतगिरि नवमा नामे, वंदी भवथी हुं विरमुं. १२ श्री बाहुबल श्री सिद्धाचल, श्री मरुदेवने नमन करूं, श्री रैवतगिरि ढंकगिरिने, सहसकमलने वंदन करूं; श्री शतकूट कदंबगिरिने लोहितगिरि नमी पाप खपुं, श्री दृढशक्ति तालध्वजगिरि श्री महाबल ए नाम जपुं. १३ एकवीश नामो इम छे जेना ते गिरिराजनी सेवा चहुं. श्वासे श्वासे रोमे रोमे ए गिरिराजनुं ध्यान चहुं; गिरिवर टोचे गिरिवर मंडन श्री आदीश्वर प्रभु सोहे, प्रथम तीर्थंकर प्रथम नरेसर जोतां त्रिभुवन मन मोहे. १४
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