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आशीर्वचन
सभी भारतीय धर्म-दर्शनों ने परमात्म भक्ति को परम तत्त्व में विलीन होने का राजमार्ग बताया है। जीव से शिव बनने की प्रक्रिया में भक्तियोग महत्वपूर्ण और पुष्ट आलंबन है।
चिन्तन-मनन में सदा उत्साही युवा मुनिप्रवर श्री महेन्द्रसागरजीने पूर्वाचार्यों द्वारा रचित भाववाही चैत्यवंदन - स्तवनस्तुति और गीतों को इस लघु पुस्तिका में संकलित कर भक्तियोग का मार्ग सरल किया है।
आराधक जनों को भक्तिसाधना में यह निमित्त बनेगी ऐसी शुभकामना करता हूँ
और इस सुन्दर प्रयत्न के लिए मुनिश्री को
अन्तःकरण से आशीर्वाद देता हूँ ।
पद्मसागर सूटि
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