________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
५९. श्री सिद्धाचल नयणे निरखी
(राग : अब तो पार भये हम साधु) श्री सिद्धाचल नयणे निरखी, सिद्धाचल मुज रूप लमुरी; भवभयभ्रमणा भ्रान्ति भागी, शत्रुजयगिरि नाम ग्रह्युरी.
श्री०१ कर्माष्टक शत्रु भयभंजन, विमलाचल मनमांहि वस्योरी; हुं तुं भेद भाव दूर जातां, ध्याताथी नहि दूर खस्योरी.
श्री०२ स्थिरपणे तुं हृदये भास्यो, तुज दर्शनथी हर्ष भयोरी; अजरामर दुःखवारक दर्शन, करता मोह ते दूर गयोरी.
श्री०३ सर्व तीर्थनो नायक तारक, कर्मनिवारक सिद्ध खरोरी; अज अविनाशी शुद्ध शिवंकर, विश्वानन्द शुभ नाम धर्योरी.
श्री०४ अनहद आनंददायक निर्मल, तुज प्रदेशो शास्त्रे कह्यारी; जे देखे ते तुजथी न जूदो, आपोआप स्वभाव रह्यारी.
श्री०५ स्थावर तीरथ निश्चय तुं छे, त्रस प्राणी तुज दर्शन करे री; स्थावर तीरथ पोते कौतुक, संगत तेहq रूप धरेरी.श्री०६ जंगम तीरथ गुरूमुखवाणी, सुणतां महातम चित्त ग्रह्योरी; निशदिन तुहि तुहि रटण करूं हुं, मनमन्दिरमा तुहि रह्योरी.
श्री०७ तीरथ तीरथ करतो भटक्यो, पण नहि आतम शान्त थयोरी;
२४
For Private and Personal Use Only