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अंग्रेजी माध्यम से पढ़नेवाले अपने लाड़ले को जैन धर्म के प्राथमिक ज्ञान एवं संस्कार देने में कठिनाई
महसूस करनेवाले। सभी माता-पिता-एवं वड़ीलों के लिए अत्यंत आनंददायी समाचार
अपने लाड़ले के लिए) मुनि श्री निर्वाणसागरजी म. द्वारा लिखिति-संपादित विश्व में सर्वप्रथमबार प्रकाशित होने वाले अद्वितीय पुस्तक प्रतिक्रमणसूत्र सह विवेचन (भाग १,१) (हिंदी - अंग्रेजी)) pratikramana sutra with explanation (part 1,2)
(Hindi - English)
आज ही बसा. एवं चिता तो !
जिसमें आप पाएंगे : मूल सूत्र, शब्दार्थ, गाथार्थ, विशेषार्थ, भावार्थ, स्तवन, स्तुति, सज्झाय, गुरुवंदन, चैत्यवंदन, देववंदन, सामायिक, देवसीअ-राइअ प्रतिक्रमण एवं पच्चक्खाण पारने की विधियाँ, प्रतिक्रमण की क्रियामें उपयोगी विविध मुद्राओं का परिचय ४० रंगीन चित्रो द्वारा,
एवं अन्य अनेक विशेषताओं से युक्त! और हाँ! सभी कुछ हिन्दी एवं अंग्रेजी में एक साथ !!!
भाग - १ एवं २ मूल्य १२५-०० अ २७ -०० रू. (रजि. डाक खर्च के)|
प्रकाशक :- श्री अरूणोदय फाउन्डेशन Clo Chandrakantbhai J. Shah (079) 6565329.
5/A/3 Arjun Complex, Satelite Road, Ahmedbad - 380015 (Gujrat [India])
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