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पुट देने की चीज है, जिसकी भावना गरमी वगैरह रोगो को शान्त करने में उपकारक है ।
'मजार' का संस्कृत पर्याय " मार्जार" होता है । मार्जार और मार्जार से बने हुए कतिपय शब्दो के अर्थ निम्न प्रकार हैं
मार्जार-अम्भसह - बोयाण - हरितग- तंडुले जग - तण - वत्थुल - चोरग 'मजार' पोइ - चिल्लीया । एक किस्म की वनस्पति, भाजी | ( भगवती सूत्र श० २१ ) मार्जार - वत्थुल - पोरग 'मजार' पोइवल्लीय पालका, एक किस्मकी वनस्पति ||
( पन्नवणा - सूत पद १ हरित - विभाग ) मार्जार- विरालिकाऽभिधानो वनस्पतिविशेषः । विडालिका
नामनी वनस्पति ||
बिडालिका - एक किस्मकी औषधी.
fasालिका - एक किस्म की औषधी.
विडालिका - वृक्षपर्णी
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( भगवती श० १५ टीका )
( आचारांग सूत्र सू० ४५ पृ० ३४८ )
( दर्शवेकालिक सूत्र अ० ५ उ०२ गा० १८ )
( क० स० श्री हेमचंद्रसूरि कृत निघंटु संग्रह ) बिडालिका - स्त्री भूमिकूष्मांडे, पैठा, भोंयकोला.
( वैद्यक शब्द सिंधु )
विराली - एक किस्मकी बेल.
मार्जार- रक्तचित्रक. मार्जार-वायुविशेष. विल्ली - वनस्पति विशेष.
बिडाली - स्त्री भूमि कूष्मांडे, पेंठा,
( पन्नवणा सूत्र वल्ली पद. १. गा० ४४ ) भुंयकोला.
( शब्दार्थ - चिंतामणि कोष )
( प्रज्ञा० प० १ गा० १९ - ३७ )
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