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मार्जार- पित्तज्वरनाशक औषधि ।
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ब्रह्मा - पलाशपापडा
विष्णु - पीपल शिवा-हरड
रंभा - केलका पेड़, मरकटतं तु (मकडी) - अमरवेल |
अर्जून- अर्जुन छाल पद्मनाभ - लकडीजाति
कृष्णा- गजपीपल
( शब्द सिन्धु कोष पृ० ८१७)
राम
-चिरायता
लक्ष्मण- प्रसरकटाली, जडी । दास-हल्दी
सीता- मिश्री
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( शब्द कोष )
लक्ष्मी-कालीमीचे (अष्टाभिधान ११)
पार्वती - देशी हल्दी विभीषण- वरकुल मूल
रावण - इन्द्रायण तुहरा इन्द्रजीत - इन्द्रजौ
महामुनि - अगस्तछाल चन्द्र-बांची सूर्य - आक रमा-शीतलमीर्च
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भावप्रकाश निघण्टु में प्राणिवाचक और प्राणि नाम सूचक अनेक वनस्पति बताई हैं। जिनमें से कतिपय ये हैं
१ हरितक्यादि वर्ग में - हरीतकी, जीवन्ती, अस्थिमती, पुतना ( ६ से ११) वैदेही, पिप्पली (५३) गजपिप्पली (६७) चित्रको, व्याल: (६९) अजमोदा, खराश्वा च मायूरो (७७) वचा, गोलोमा (१०१) वंशरोचना, वैष्णवी (११७) ऋषभो वृषभो धीरो विषाणीद्राक्ष (१२५) अश्वगन्धा (१४३ - ४५ ) ऋद्धि वृद्धि वाराही (१४३१४५) कटवी, अशोका, मत्स्यशकला, चक्रांगी, शकुलादनी, मत्स्यपत्ता (१५४) इन्द्र्यवं क्वचिदिन्द्रस्य नामैव भवेत्तदभिधायकं (१६०) नाकुली (१९६८) मयूरविदला, केशी (१७०) कांगुनी, पारापतपदी, (९७४) शृङ्गी, कर्कटश्टङ्गी, अजभ्टङ्गी (१८१) ब्राह्मणी खरशाक: (१८५) शृङ्गी (२१४) मातुलानी मादनी विजया जया (२३३ ) स्वर्जिकाक्षार: कापोतः (२५२)
२ कर्पूरादिवर्ग में पतंगे (१८, १९) जटायुः कौशिकः (३२) नागः (६९) गोरोचना, गौरी (७९) जटामांसी, तपस्विनी (८९) प्रियंगु, विश्वसेनांगना (१०१) रेणुका राजपुत्री च नन्दिनी कपिला द्विजा पाण्डुपुत्री कौन्ती (१०४) काकपुच्छ (१०७) कुक्कुरं रोमशुकं (१०९) निशाचरो, धनहरः, कितवो (१११) ब्राह्मणी देवी, मरुन्माला (१२५) कपोतचरणा, नटी (१२९)
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