________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रु यात्।नमस्तेरुद्रमुन्न्यवऽउतोतुऽइषवुनमः।बाहुब्भ्यांमुतनमः अ. 25 // 3 // यातैरुद्रः // यातॆरुद्रशुिवातनूरघोरापापकाशिनी // तयाँ 6 नस्तुन्वाशन्तमयागिरिंशन्ताभिचाकशीहि॥४॥नतम्॥नतमविंदा / थियऽमाजजानान्यद्युष्म्माकुमन्तरम्बभूव // नीहारेणुप्पाताज हैं। प्याचासुतृपऽउत्तथशासश्चरन्ति।५।विश्वकर्मा // विश्वकर्माद्या निष्टदेवऽआदिईन्धर्वोऽअभववितीयः ॥तृतीय पिताजनितीष | 21 धीनामुपाङ्ग य॒दधात्त्पुरुवा / 6 / मीढुष्टमुसि॥मीढुष्टमुशिव॑तम है। CHECRECAREERSCRIRECISCELC For Private And Personal Use Only