________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir www.kobatirth.org जोऽअभिरक्षतित्वमाप्मजापुपोषपुरुधाविराजति३० उदुत्यम्॥ उदुत्यातवेदसन्देवंर्वहन्तिकेतवः॥ दुशेविश्वायसूर्यम् 31 थे। नापावक // येनोपावकुचक्षसाभुरण्यन्तुञ्जना ॥अनुं // त्वंबर णपश्यसि 32 दैत्यावद्दर्य // दैव्यावद्दयुंऽआगंतुरथेनुसूय॑त्व चा॥ महायज्ञसमाथे॥ तम्प्रत्कथायवेनश्चित्रन्देवानाम् 33 आनः॥ आनाइडाभिर्बुिदर्थेसुशस्तिविश्वानरसवितादेव एंतु // अपियायुवानोमत्सथानोविश्वजगदभिपित्वेमनीषा 34 यद छ / कच्चंवृत्रहन्नुदगाऽअभिसूर्य // सर्बुन्तदिन्द्रतेबरों 35 तुरणि / विश्वदर्शतः // तुरणिविश्वदर्शतोज्योतिष्कदसिसूर्य॥ विश्व For Private and Personal Use Only