________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir www.kobatirth.org उ.अ. रदित्यैविष्ष्णुपत्नत्यैचुरुरग्नयैवैश्वानरायुद्वादशकपालोनुमत्याऽ टाकपाल७६०२४॥४॥ इतिसंहितापाठेएकोनविंशोऽध्यायः 29 / देवसवितःषट्तपसेकौलाल षोडशद्वौद्वाविशतिः // देवसविता देवसवितुप्प्रसुवयुज्ञम्प्रसुवयुज्ञपतिम्भगाय // दिव्योगन्धर्वकैत / पूरकेतन पुनातुबाचस्प्पतिर्वाचनःस्वदतु 1 तत्सवितुः // तत्स वितुर्वरेण्यम्भग्गादेवस्य धीमहि॥धियोयोन:प्प्रचोदयातविश्वा निदेव // सवित?रितानुिपरसुव // यद्भवन्तन्नु आसुव 3 विभुक्ता रव्हिवामहे॥ विभुक्तारहिवामहेवौश्चुित्रस्युराधसः // सवितार 54 नुचक्षसम् 4 ब्रह्मणेब्राहमणम् // ब्रहमणेब्राहमणमवार्यराजुन्य For Private and Personal Use Only