________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सहि कर्मकर्मकृत सुहवाचामयोभुवा // देवेन्युडकर्मकृत्त्वास्तुम्मे पू.भ. 14 तसचा व 47 अवभृथनिचुम्पुण। निचुरुरंसिनिचुम्पुणः // 3 दुवैवस्तुमेनौयासिषुमवमत्त्य॒मय॑कृतम्पुरुराव्णोदेवरिषस्प्पा / हिसा]पूर्णादविपूर्णादविपपितुसुपूण्णापुनरावृतावस्नेवविक्री णावहाऽइषुमर्जशतऋतो 49 देहिमें / देहिमेददामितेनिमधेहिनि तेदधे॥ निहारेञ्चहरांसिमेनिहारनिहराणितेस्वाहा 50 अक्षुन्नमीमद / न्त / अक्षन्नीमदन्तुयवप्रियाऽअधूषत // अस्तौषतस्वज्ञान वोबिप्पानविष्ठयामुतीयोजान्विन्दतुहरी 51 सुसुन्दन्विा / सुस 14 नशन्त्वाव्यम्मघवन्वन्दिषीमहि // अनूनम्पूर्णवन्धुरस्तुतोयासिब For Private and Personal Use Only