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(७८) धम्मो, संपाविस भवसत्त सिवसम्मो ॥ नीसेस किलेसहरो, हवउ सया सयलसंघस्स ॥ ९॥ गुणगण गुरुणो गुरुणो, सिवसुह मइणो कुणंतु तित्थस्स ॥ सिरिवद्धमाण पहुपयडिअस्स कुसलं समग्गस्स ॥१०॥ जियपडिवरकाजरका गोमुह मायंग गयमुह पमुरका ॥ सिरि बंभ संति सहिआ, कय नयररका सिवं दितु ॥११॥ अंबा पडिहयडिंबा, सिद्धा सिद्धाइआ पवयणस्स ।। चक्केसरि वइरुट्टा, संति सुरा दिसउ सुरकाणि ॥ १२ ॥ सोलस विजा देवीओ, दितु संघस्स मंगलं विउलं ॥ अच्छुत्ता सहिआओ, विस्सुअ सुयदेवयाउ समं ॥ १३ ॥ जिण सासण कयरका, जरका चउवीस सासण सुरावि ।। सुहभावा संतावं, तित्थस्स सया पणासंतु ॥ १४ ॥ जिणपवयणमि निरया, विरहा कुपहाउ सबहासवे ॥ वेयावच्चगराविअ, तित्थस्स हवंतु संतिकरा ॥ १५ ॥ जिणसमय सुद्धसमग्ग, विहिअभवाण जणिअसाहज्जा ॥ गीयरई गीयजसो, सपरिवारो सुहं दिसउ ॥१६॥ गिहगुत्तखित्तजलथल, वणपवयवासि देवदेवीओ ॥ जिणसासणहिआणं, दुहाणि सवाणि निहणंतु ॥ १७ ॥ दसदिसिवालासस्कित्तवालया, नवग्गहा सनरकत्ता ॥ जोइणि राहुग्गहकालपास, कुलिअद्ध पहरेहिं ॥ १८ ॥ सहकाल कंटएहिं सविडिवच्छेहि कालवेलाहिं ॥ सवे सव्वत्थ सुहं, दिसंतु सबस्स संघस्स ॥१९॥ भवणवइवाणमंतर, जोइसवेमाणिआ य जे देवा ॥ धरणिंदसकसहिआ, दलंतु दुरिआइ तित्थस्स ॥२०॥चकं जस्स जलंतं, गच्छइ पुरओ पणासिअ तमोहं ॥ तं तित्थस्स भगवओ, नमो नमो वद्धमाणस्स ॥२१॥ सो जयउ जिणो वीरो, जस्सजवि सासणं जए जयइ ॥ सिद्धिपह सासणं कुपह, नासणं सब भय महणं ॥ २२ ॥ सिरि उसभसेण पमुहा, हयभय
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