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( १९ )
सिरकावए निंदे ॥ २८ ॥ संथारुच्चारविही- पमाय तह चेव जोपाजोए ॥ पोसह विहिविवरीए, तइए सिरकावए निंदे ॥ २५ ॥ सच्चित्ते निरिकवणे, पिहिणे ववएस मरे चैव ॥ कालाइकमदाणे, चत्रे सिरकावए निंदे ॥ ३० ॥ सुहिए
हिए छा, जा मे असंजसु श्रणुकंपा ॥ रागेण व दोसे व तं निंदे तं च गरिहामि ॥ ३१ ॥ सासु संविजागो, न कर्ज तवचरणकर जुत्तेसु ॥ संते फासूदाणे, तं निंदे तं च गरिहामि ॥ ३२ ॥ इह लोए परलोए, जीविका मरणे असंसपगे || पंचविहो यारो, मा म हुआ मरते ॥ ३३ ॥ arry कास, पक्किमे वाइस्स वायाए ॥ मासा माणerre, area वयाचारस्स ॥ ३४ ॥ वंदणवय सिरकागारवेसु सन्नाकसायदमेसु ॥ गुत्तीसु श्रा समिईसु श्र, जो अइआरो 'तं निंदे ॥ ३५ ॥ सम्मदिदी जीवो, जइ विहु पाव समायर किंचि ॥ श्रप्पोसि होड़ बंधो, जेण न निद्वंघसं कु || ३६ || तंपि डु सपरिकमणं, सम्परिश्रावं सउत्तरगुणं च ॥ खिष्पं जवसामेश, वाहिब सुसिरिकन विको ॥ ३७ ॥ जहा विसं कुछगयं, मंतमूलविसारया ॥ विका दांति मंतेहि, तो तं हवइ निसिं ॥ ३८ ॥ एवं विदं कम्मं, रागदोससमiि | आलोयंतो छ निंदंतो, खिष्यं दणइ सुसावर्ड ॥ ३ए ॥ कयपावोवि मणुस्सो, आलोय निंदियगुरु सगासे ॥ होइ अइरेगलहु हरि रुब जारवहो ॥ ४० ॥ श्रवस्सए एएए, सावर्ड जवि बहुर होइ ॥ पुरकाणमंत कि
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१ तयं.
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