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(१६०) अभिनंदन-आठम शिवपुरराणो। सुमति जन्म नवमी दिन दीक्षा । वीरदसमी दिननाणोरे ॥ भ० ॥३८॥ वारस विमल च्यवन अजित जिन । तेरस संजम प्रमाणो ॥ इति वैशाख मास० जेठ वदी छठ श्रेयांस चविया । आठमसुत्रत जन्मकहाणोरे ॥ भ० ॥ ३९ ॥ नवमी दिन निर्वाण सुव्रतनो । तेरस सांती जन्म कहिये । एहिज दिन निर्वाण ए प्रभुनो । चवदश संजम ग्रहियेरे ॥ भ० ॥४०॥ सुदि पंचमि धर्म शिवसुख लहियो । नवमी वासु पूज्य चविया । सुपार्श्व बारस दिन जन्म्या । तेरस संजम ठवियारे ॥ भविजन ॥४१॥ इति जेठ मास० ॥ आषाढवदि चोथ रिषभ चविया । विमल सातम निर्वाण । नमि दीक्षा नवमी दिन लीधी । अनुपम सुखनी खांणरे ॥ भ० ॥ ४२ ॥ वर्धमान सुदि छठ च्यवन शुचि । नेमि आठम शिव वरिया । चवदस वासु पूज्य शिवपायो । सुखसंपतिनादरियारे ॥ भ० ॥४३ ॥ इति आषाढ मास०॥ बारे मास कल्याणक प्रभुना । वरणव्या सास्त्र प्रमाण । बारे पूनिम पर्व बखांण्या । सेवो भविक सुख खांणरे ॥ भ० ॥ ४४ ॥ चैत्री दिन उपवास करिजे । पूजा विवध प्रकार । दश बीस तीस चालीस पचास । तिलककरेसुखकाररे ॥४५॥ भ० ॥ इमहिज फूल फलादिकढोवे । प्रभु आगे सुविशाल । देवबंदन पड़िक्कमणो गुणनो । करिलहे सुरकरसालरे ॥ भ० ॥४६॥ ओली दोयने तीन चोमासा । पर्युषण सुखकार । दीवाली नाण पंचमी जाणो । मौन इग्यारस दिलधाररे ॥ भ० ॥४७॥ पोषदसमी मेरू तेरस वली । आखातीज अधिकारी । चैत्री कार्तिक पर्व इत्यादिक । सेवो सदा सुखकारीरे ॥ भ० ॥४८॥
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