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( १५७ )
( इति श्रावण मास ० ) || भाद्रववदि सातमचव्यारे । सान्तिनाथ जगनाथ ॥ स० ॥ एहिज तिथि चंद्र प्रभुरे । झाल्यो सिवबधु हाथ || स० ॥ ८ ॥ श्रीसुपार्श्व आठमचव्यारे । सुविधि नवम शुद्धि जांण || स० ॥ मुक्तिमहिलमें विराजियारे । पर्युषण सुप्रमांण ॥ स० ॥ ९ ॥ ( इति भाद्रव मास ) | आसोजवदितेरस थयोरे । गर्भापहार (वीरनोवीजो ) कल्याण ॥ स० ॥ नेमिज्ञान अमाबसेरे । पूनिम नमिचव्या जाण ॥ स० ॥ १० ॥ ( इति आश्विन मास ० ) || कार्तिक वदि पांचम समेरे । संभवपांम्योनाण || स० ॥ पद्मप्रभु बारस जनमियारे । नेमिचव्या जग भाग स० ॥ ११ ॥ तेरस पद्म दिक्षा ग्रहीरे । वीर दरस ( अमावश ) निर्वाण ॥ स० ॥ सुविधी सुदितीजउपनोरे । केवल नांग सुख खांण || स० ॥ १२ ॥ पर्युषण ओली भलीरे । ज्ञान पंचमी पर्वजांण ॥ स० ॥ जिनकृपाचंद्रसूरिसदारे । पर्व सेवो गुणखांण ॥ स० ॥ १३ ॥ इति कार्तिक मास० ॥ ( ढाल २ ) आज आपे चालो सहियां सिद्धाचल गिरिजइयेरे || एदेशी ० || मिगसरवाद पंचमि सुविधिजनु । छठे दीक्षा लीनी । दशम वीर संजम एकादशी । पद्ममुक्तिगतिकीनोरे ॥ १४ ॥ सुनो सुगुणा जिनशासन सुंदर । पर्व्वघणा जयकारी । सुदि दशमी अरनाथजी जाया, पाम्या सिवसुखभारीरे ॥ सु० ॥ १५ ॥ इग्यारस अरनानी दीक्षा | मल्ली जन्म व्रतलीनो । केवल मल्ली नमि सुहंकर | पांमी जगतजसकीनोरे ॥ सु० ॥ १६ ॥ चवदश संभव जन्म लियो है । पूनिम दीक्षाधारी । पूनिम तिथि सेवीने भविजन || लहो सदा सुखसारीरे ॥ ० ॥ १७ ॥ इति मार्गशीर्ष मास० ॥
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