________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ९४ ) सघला टालजे ॥१४ ॥ कह्यां पनरे कर्मादान, पाप तणी परहरजे खाण ॥ किशु म लेजे अनरथ दंड, मिथ्या मेल म भरजे पिंड ॥ १५ ॥ समकित शुद्ध हैडे राखजे, बोल विचारीने भाखजे ।। पांच तिथि म करो आरंभ, पालो शीयल तजो मन दंड ॥ १६ ॥ तेलतक्रघृतदूधने दहि, ऊघाडा मतमेलो सही ॥ उत्तमठामें खरचो वित्त, परउपगार करो शुद्धचित्त ।। १७ ॥ दिवसचरिमकरजे चोविहार, चारे आहार तणो परिहार ॥ दिवस तणां आलोए पाप, जिम भांजे सघला संताप ॥ १८ ॥ संध्यायें आवश्यक साचवे, जिनवरचरणशरणभव भवें ॥ चारेशरणकरी दृढहोय; सागारीअणसणले सोय ॥ १९ ॥ करे मनोरथमनएहवा, तीरथशत्रुजे जायवा ॥ समेतशिखर आबू गिरनार, भेटीश हुँ धन धन अवतार ॥ २० ॥ श्रावकनी करणी छे एह, एहथी थाये भवनो छेह ॥ आठे कर्म पडे पातलां, पापतणां छूटे आमला ॥२१॥ वारु लहियें अमर विमान, अनुक्रमें पामे शिवपुरधाम ॥ कहे जिनहर्ष घणे ससनेह, करणी दुःखहरणीछे एह ॥ २२ ॥ इतिश्रीश्रावकनी करणी सं०॥
॥ अथ सेजुजरास ॥ ॥ श्रीरिसहेसरपायनमी ॥ आणी मन आनंद ॥ रासभ' रलियामणो ॥ सेजुजैनो सुखकंद ॥१॥ संवतच्यार सतोतरै । हुवा धनेसरसूर ॥ तिणसेनंजमहातमकियो ॥ शिलादित्य हजूर ॥२॥ वीरजिणंदसमोसर्या ॥ सेजऊपरजेम ॥ इन्द्रादिक आ
For Private And Personal Use Only