________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ना०
॥१२॥
रंगना नागो काढवा ॥४॥
गुरुकल्पांस्तथा वीथ्यां स्वगृहे वा पटे बुधः। पूजयेद्धधूपैश्च पयसा पायसेन च ॥५॥ तस्य तुष्टिं समायांति पद्मकास्तक्षकादयः। आसप्तमात्कुले तस्य न भयं नागतो भवेत् ॥६॥
शेरीमां, घरमां अथवा कपडा उपर मोटा मोटा नागो काढी दूधथी पूजा करी दूध अने दूधपाक वगेरेथी तेमने जे कोइ संतोष पमाडे छे ते माणस पर पद्मक, तक्षक तेमज मोटा मोटा नागो प्रसन्न थाय छे अने ते माणसनी सात पेढी सुधी नागनो भय ॥१२॥
For Private and Personal Use Only