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सी०
॥६॥
शुभकारीने युं ॥ १९-२०॥
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भविष्यति चिरंजीवी भर्ता ते राजकन्यके । आगच्छ पूजनार्थाय दर्शयामि सरोवरम् ॥ २१ ॥
राजकन्या तुं पूजन माटे मारी साथे चाल हुं तने तळाव बता त्यां मा शीतलानी पूजा करवाथी तारो पति चिरंजीव थशे ॥ २१ ॥ तया सह गता साध्वी तडागं विधिपूर्वकम् । पूजयामास हर्षेण तोपयामास शीतलाम् ॥ २२॥
आ सांभळी शुभकारी ए वृद्धा साथे तळाव पर गइ अने विधिपूर्वक आनंद साथै पूजा करी मा शीतलाने संतोष्या ॥२२॥
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घ०
॥६॥