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(ए) दोगे थादिजिणंद ॥थादिजिणंद हांजी मरु देवीनो नंद ॥ना०॥१॥ मीठो लागे माहाराज रूप ताहारो
आज, मुजरो लीयो माहारो सारोने काज ॥ दिवस घणे दीठो तुने नाथ मुने नेह, उपनो आनंद तेहनो कोण लहे लेह ॥२॥ मी॥ ताथे ताथे तानवाजे थीनगीन दों,मृदंग देव उंडनि ते वाजे दोंदों॥ शंख वाजे तालकंसाल, धपमप मादल भ्रमके रसाल ॥ मी० ॥३॥ दंकिटि दंकिटि थे थर थाप, पधनी धपमधप थइ अतिव्याप ॥ घणपण घुघरा घमके रे पाय, नगणण नाकारा नेरीना थाय ॥ मी०॥ ॥४॥नाची कूदीपाय वंदीनविजन नावें, जगतिगुं जगवंतने शीस नमावे || मुगतिनी मोज थापो मागु बे कर जोड, उदयरतन कहे नवःख बोड ॥मी॥५॥ इति श्री शत्रुजय स्तवन समाप्त ॥
बना इति श्री शत्रुजय महातीर्थनां रास ! से नधारादि ग्रंथोनां संग्रहनु
पुस्तक समाप्त॥
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मारातारू कामासातासाचालाक्ताकालाजामा
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